Trishala Nandan त्रिशला नन्दन (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-57)

 त्रिशला नन्दन

धरम करम इन्सान की सेवा जिसका घर संसार है

दुनिया के दुःख दर्द में हर दम महावीर तैयार है

त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है


छोड़ सिंहासन राजकुंवर ने जीवन का रूख मोड़ दिया 

 तोड़ के रिश्ते नाते घर से जग से रिश्ता जोड़ लिया 

  कांटों पर चल कर स्वामी ने फूल खिलाये दुनिया में 

 सत्य अहिंसा दया धरम के दीप जलाये दुनिया में 


त्याग तपस्या अमर है उनकी जब तक ये संसार है

 त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है 


आज अहिंसा की लहरों पर दया की नईया सागर में

 पतवारों पर धर्म पताका चला खेवईया सागर में 

  जल थल में जीवन जीने की भोली सही अहिंसा से 

  अमन चैन की खुशबू सुन लो फैली रही अहिंसा से 


तूफानों से लड़ के निकली नेकी की पतवार है

 त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है 


हो कल्याण करोड़ों का और ये सुन्दर संसार रहे

 भाई चारा फैले ज़्यादा एक दूजे में प्यार रहे 

 

छल मारे और लालच दुःख दे कपट सदा अपमान करे

 ये सब छोड़ो वो सब धारे जिससे जग सम्मान करे


दीन दुःखी का भाग निकालो अपने करोबार से

त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है


  बारूद पे बैठी दुनिया का बस एक धर्म 

तोपों के रूख मोड़ के रखना ये बस कर्म हमारा है

 संतों के आदर्श रहेंगे साथ हमारे संकट में

  भक्तों के सामर्थ रहेंगे हाथ सहारे संकट में 


जब्बार ये स्वामी महावीर की लीला अपरंपार है

 त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है