Putholi पुठोली (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-56)

 पुठोली

सुन्दर एक पुठोली ग्राम

जहां है लाल फूल बाई धाम

किरणें मंगल गाएं सवेरे संध्या फूले शाम


अरावली की एक श्रृंखला पश्चिम में रखवाली है

 उत्तर-दक्षिण-पूरब देखो तीनों ओर हरियाली है

    छवि निराली मंदिर की टोकर बोले मीठे बोल 

  बूंघटवाली घूमर लेवे भवानीशंकर बजाये ढोल 

  दर्शक आते जाते सारे करते जाते हैं प्रणाम 

 किरणें मंगल गायें सवेरे संध्या फूले शाम 


दूर से मोटर गाती आती इठलाती रेलों की चाल

 खेमकुण्ड की छटा निराली रहता सावन पूरे साल 

चमक रहा पंचायतघर शाला भवन खड़ा विशाल 

राम प्रताप की हिम्मत से यहां के बच्चे हुए निहाल 


देखो सफल हआ है होगा बापजी का आयाम 

किरणें मंगल गाएं सवेरे संध्या फूले शाम 


चमक रही बिजली घर गलियों से अंधियारा भागा है 

नव विकास का दीप जला घर घर उजियारा आया है 

खेत बढ़े खलिहान बढ़े खेत के खेतीदार बढ़े

 दूनी हो गई उपज यहां कि बस दो बच्चे सच्चे बढ़े 


जब्बार सेवा करता जिनकी हर सुबह शाम 

    किरणें मंगल गायें सवेरे संध्या फूले शाम