Pahachaan पहचान (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-43)

    पहचान 

           ये गाना गाऐ हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 

        दूर करेगा दुनिया भर से अंधियारा अज्ञान 


    गाँव गली घर आंगन इसने ये आवाज़ लगाई

      सदा आदमी रहा अधूरा बिना शिक्षा के भाई 

     जागो रे मज़दूर किसानों लो फिर से अंगड़ाई 

    जीवन का आनन्द उठाने करलो खूब पढ़ाई


              जरा सा इस पर धर लो ध्यान

             तो गुज़रे उमर बड़ी आसान 

    मुरझाए चेहरों पर फिर से आ जाए मुस्कान

     ये गाना गाऐ हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 


      शहर सबा फिर देश संवारो और संवारो दुनिया

          भाईचारा उमड़ पड़े हर झोली में हो खुशियाँ

       हरे भरे हों खेत हमारे आ जाए खुशहाली 

     मनवा गाये गीत खुशी के बोले कोयल काली

    सूरज आशाओं का निकले

      भूले मानवता ग़म पिछले 

भागे भूख गरीबी सब के पूरे हों अरमान 

   ये गाना गाऐ हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 


  आजादी के बाद भी घायल है भारत की नारी

               दहेज का लालच दिखा रहा है अपनी कारगुजारी

              पढ़ जाये परिवार जो घर में पढ़ी लिखी हो नारी 

  ताकत बन जाये नारी ना रहे कोई लाचारी


 जागे शक्ति बन कर नारी

 वरना दुनिया है दो धारी 

  पढ़-लिख जाए तो हो जाए नारी का उत्थान

        ये गाना गाए हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 


  जात पात और धरम करम से देश बड़ा है भाई 

सत्य अहिंसा दयादान संदेश बड़ा है भाई

  अपने हाथों मानव का सुन्दर संसार बनाना 

 हिंसा के हाथों से ये सुन्दर संसार बचाना


 देखो चमन जले ना अपना

 देखो वतन लुटे ना अपना 

दुनिया को सुन्दर लगता है अपना हिन्दुस्तान 

ये गाना गाए हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान