Jindagee ke chalan जिन्दगी के चलन (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-39)

 जिन्दगी के चलन 

राज़ एक मैं कहूँ, ऐ हम वतन

 गर है तू हिम्मती, है जो तुझमें लगन 

मोड़ सकता है तू ज़िन्दगी के चलन

 फिर करेगा तुझे सारा जग ये नमन 


आहे तू क्यों भरे, हाथ दो जो तेरे 

जीते जी वो भरे मुश्किलों से डरे

 बाँध ले तू कमर मुश्किलों से ना डर 

 होगी फूलों सजी ये कंटीली डगर 


  होगा गम से कभी फिर खुशी का मिलन 

  मोड़ सकता है तू ज़िन्दगी के चलन 


ज़िन्दगी की पहर है खुदा की मेहर

 बुलबुला नीर का आती जाती लहर 

ज़िन्दगी फूल भी ज़िन्दगी शूल भी 

 सर चढ़ी है कभी ये चरण धूल भी 


खिल उठेगा कभी तेरे मन का चमन 

मोड़ सकता है तू ज़िन्दगी के चलन 


वक्त क्यों कर रूके, रूक गये जो रूके

उठ ना पाये कभी झुक गये जो झुके

वक्त को थाम ले हाथ को काम दे

ज़िन्दगी को अरे, ज़िन्दगी नाम दे


हो ना मायूस तू और कर फिर जतन

मोड़ सकता है तू ज़िन्दगी के चलन


 आखिरी बात सुन मेरे जज़्बात सुन

    बुझे दिलों की लुटी जग में बारात सुन

      हौंसलों के सिले जिन्दगी में मिले 

  हौंसलों से सदा है विराने खिले 


हो ना सच ये अगर छोड़ दूंगा कलम

 मोड़ सकता है तू ज़िन्दगी के चलन