Lahar लहर (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-41)

 लहर 

जनता के राज की लहर है गाँव-गाँव में

 उमंग जोश की ख़बर है गाँव-गाँव में

 गाँवों में लोकतंत्र की गहरी हुई जड़ें 

पंचों के राज का असर हैं गाँव-गाँव में 


  पगडण्डीयाँ घटी सड़क से गाँव जुड़ गये

   देहात की तरफ खुशी के पाँव मुड़ गये

     जवाहर रोज़गार का जब से दिया जला 

   बेईमान और बिचौलियों के होश उड़ गये

       कल्याणकारी काफिले चौपाल पे जाकर 

देते हैं हाथों-हाथ हुनर गाँव-गाँव में

 

इंजन बनाने लग गये लुहार गाँव के

 पीछे नहीं किसी से भी सुधार गाँव के

 कुम्हार ने बनाये हैं बर्तन वो बेमिसाल  

हीरे तराशने लगे सुनार गाँव के 

रथ विकास का चला गती को तेज़ कर 

आशाओं की उजली पहर है गाँव-गाँव में 


पहले से ज्यादा बहन बेटियों को हक मिले

 पिछड़े को पहले काम के चले हैं सिलसिले 

किस्मत संवरने लग गई है अब गरीब की

 बसने लगी है बस्तियाँ बेघर को घर मिले

 पीने को पानी बस्तियों को रोशनी मिली 

सतरंगी शाम और सहर है गाँव-गाँव में 


शिक्षा का गाँव-गाँव में फैला है वो जाल

 जिसमें तरक्की पा रहे हमारे नौनिहाल 

अनपढ़ ने बाद काम के पढ़ना शुरू किया

 गीता का पाठ कर के प्रौढ़ भी हुए निहाल

 ताकील तो तमाम तरक्की का नाम है

 कलम किताब का असर है गाँव-गाँव में 


  गाँवों में भाईचारे का सूरज चमक रहा

    महान देश की महान है परम्परा 

 लाई है रंग खेत में मेहनत किसान की 

 सोना उगल रही है हमारी वसुंधरा

           आने लगी हरियाली रेगिस्तान में भी अब 

   वो लहराती आ रही है नहर गाँव-गाँव में