बच्चे हिन्दुस्तान के
सुन बच्चे हिन्दुस्तान के
सुन बच्चे हिन्दुस्तान के
जग से न्यारे
जान से प्यारे
इस सच्चे हिन्दुस्तान के
सुन बच्चे हिन्दुस्तान के
ऊँचे-ऊँचे पर्वत जिस की नदियां गहरी बलखाती हैं
घन घोर घटा चंचल चपला जब सावन में मदमाती है
सनन-सनन पुरवा चलती अकुले जब संध्या सिन्दूरी
चटके कलियां चहके पंछी मधुमास महकता अंगूरी
सुन कृष्ण की बंसी के पीछे गौचर जब गांव में चलते हैं
क्यों भोर एक प्रतीक्षा के कुटिया में दीपक जलते हैं
उसी सुहानी संध्या में
सपनों की सुन्दर संज्ञा में
दृश्य दिखाई देंगे तुमको
सच्चे हिन्दुस्तान के
सुन बच्चे हिन्दुस्तान के
प्रथम पाठ हो भक्ति देश की, दूजे में मानव सेवा
तीजे में हो लाज तिरंगा, चौथे में मेहनत रेखा
परमेश्वर जानो पंचम में, छ: है जग में छाये रहना
सात सहारा हो निर्धन का, आठ में अनुशासन रखना
नौ में नायक बनो देश के, दस दुश्मन को टोह रखना
ये गुण जिस बालक में हो तो उस बालक का क्या कहना
मेहनत से कोई दूर नहीं है
फिर बालक मजबूर नहीं है
ये आदर्श हमारे अपने
सुन सच्चे हिन्दुस्तान के
सुन बच्चे हिन्दुस्तान के
ऐ भारत के लाड़ लाड़लों तुमको ये जीवन अर्पण
तुम्हीं देश के भाग्य विधाता नवभारत हो दर्पण
तुम्हीं में गाँधी, नेहरू, शेखर, भगत हैं लाल बहादुर है
तुम्हीं में बैठी वो इन्दिरा, माणक सा वीर बहादुर है
मुझको ये मालूम है बच्चों तुममे नंगे भूखे हैं
खून से सींचेंगे हम तुमको चाहे सावन सूखे हैं
इस विधान को बदल के रख दें
बच्चे हिन्दुस्तान के।