Pashudhan bachao पशुधन बचाओ (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-51)

 पशुधन बचाओ 

बचाओ बचाओ गऊधन बचाओ 

देखो ये मरता पशुधन बचाओ 


 के माँ की तरह जिसे हम पूजते हैं 

 के भगवान मिल के गले झूमते हैं

  भगवान है, गीता ये, कुरान ये है 

 ये गंगा का पानी है, भगवान ये हैं


 ये रूप है देवी का यम से छुड़ाओ

 देखो ये मरता पशुधन बचाओ 


सिसकती बिना घास के वो सिसकती 

  बिलखती बिना पानी के बिलखती 

 कि बछड़ा बिना दूध भूखा है प्यासा 

  जीने के उसकी बहुत कम है आशा 


समय बीत जायेगा पुण्य कमाओ

 देखो ये मरता पशुधन बचाओ 


 चलने से मजबूर पैरों में छाले

 ये मतवाले मुखड़े पड़े काले काले 

सिवा अब तुम्हारे सहारा नहीं है 

सिवा जान जाने के चारा नहीं है 


समय बीत जायेगा पुण्य कमाओ 

देखो ये मरता पशुधन बचाओ

 

हमारा किया जिसने सदियों गुज़ारा 

पड़ी उसपे आफत तो हमको पुकारा 

  उठो यूं लगावो घर घर में नारा 

  ये मरने न पाये पशुधन हमारा 


ये संकल्प अपना सभी को सुनाओ

 देखो ये मरता पशुधन बचाओ