महावीर
ओ अहिंसा के पुजारी कर दिया तूने कमाल
ओ दया के देवता महावीर जग तुमसे निहाल
पाप के अंधियारे पूनम के उजाले खा गये
पुण्य के आकाश में हिंसा के बादल छा गये
रो पड़े गंगा के धारे जब लुटा सबका धरम
सह ना पाये दीन दुखियारे भला जुल्मों सितम
खोट मानव के सभी पल में दिये तुमने निकाल
ओ दया के देवता महावीर जग तुम से निहाल
जनम कुण्डलपुर हुआ उसकी छवि कुछ और थी
थी सुहानी वो निशा रंगीन प्यारी भोर थी
आया लेकर नव किरण सूरज तभी उस गाँव में
सो रहा था एक मसीहा माँ के आँचल छाँव में
खोट मानव के सभी पल में दिये तुमने निकाल
ओ दया के देवता महावीर जग तुम से निहाल
बाल योगी तुम मेरे इस देश के वरदान हो
साधना सिद्धार्थ कुल की तुम दया की खान हो
डरती बाधाएं सदा ठोकर तुम्हारे पाँव से
कष्ट भागे दूर तुम निकले जिधर जिस गाँव से
दूर अंधियारे गये तूने जलाई वो मशाल
खोट मानव के सब पल में दिये तुमने निकाल
ओ दया के देवता महावीर जग तुम से निहाल