गीत
जो जीवन में गिरकर उठे ना दुबारा
उन्हीं को उठाने चले गीत मेरे
ज़रूरत जिन्हें थी मिला ना सहारा
उन्हीं को लगा ले गले मीत मेरे
उजाले के लालच में छलते अंधेरे
जिधर जायें राहों में लगते घनेरे
आयेंगे जब तक हमारे सवेरे
हमें लूट लेंगे ये घर के लुटेरे
उजाला हो जीवन में जिनके दुबारा
वो दीपक जलाने चले गीत मेरे
बड़ी मुश्किलों का ये सूना सफ़र है
छोटी उमर संग लम्बी डगर है
सागर जो छोड़े तो लूटे लहर है
भला बेवजह क्यों ये हम पे कहर है
भटकती हुई नाव ढूँढे किनारा
वो नईया चलाने चले गीत मेरे