बांध चला गठरी अंधियारा
आज दिवाली पर उजियारा फैला इतने प्यार से ।
बांध चला गठरी अंधियारा इस सुन्दर संसार से ।।
आँगन आँगन फैली खुशियां यौवन पर खुशहाली है।
ऋद्धि सिद्धि ने इसे संवारा हर काया मतवाली है।।
आज नयापन रूप का निखरा नारी के श्रृंगार से |
बाँध चला गठरी अंधियारा इस सुन्दर संसार से।।
रंग बिरंगी आतिशबाजी खुशियों का इजहार करे ।
रंग बिरंगी पोशाकों से बच्चे बेहद प्यार करें ।।
चहल पहल है आँगन चन्दन महक उठी हर द्वार से।
बाँध चला गठरी अंधियारा इस सुन्दर संसार से ।।
किरण किरण के साथ में फैला अपनापन प्यारा है।
चन्दन सी खुशबू सा फैला हम में भाईचारा है।
रोशन हो गई सारी दुनियां दीप तेरे उपकार से।
बांध चला गठरी अंधियारा इस सुन्दर संसार से ।।