ज्ञान का दीप जलाने को
गाँव गली घर आंगन-आंगन ज्ञान का शंख बजाने को
हम तैयार हैं जन जीवन में ज्ञान का दीप जलाने को
चौपालों पर चर्चा है पढ़ने की और पढ़ाने की
अनपढ़ लोगों के हाथों में पोथी कलम थमाने की
बढ़ने की चाहत जागी है नारी के मन मंदिर में
सीता सलमा साथ चली लो पढ़ने ज्ञान के मंदिर में
पूरब की किरणों ने फिर से रोशन किया ज़माने को
हम तैयार हैं जन जीवन में ज्ञान का दीप जलाने को
भला पढ़ाने वाले का और पढ़ने वाले का भी भला
इक बंजारा गीत सुनाता देता ये संदेश चला
भूख गरीबी से छुटकारा अक्षर ज्ञान करायेगा
हमको अपने अधिकारों की ये पहचान करायेगा
हमें बनानी है फिर राहें जीवन सफल बनाने को
हम तैयार हैं जन जीवन में ज्ञान का दीप जलाने को