Rajsamand राजसमन्द (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-55)

 राजसमन्द

एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है

राजसमन्द कहते हैं जिसको जो जी हरने वाला है।

पूरब में हरिओम की सरगम मंदिर एक सुहाना है

पश्चिम में है विकास की बेला पर्वत एक पुराना है

उत्तर में है पानी-पानी झील बड़ी-मतवाली है

दक्षिण की क्या छवि बताऊँ देखू जिधर हरियाली है

 चारों दिशाओं के मधुबन में 

आती बहारें इस गुलशन में

 है वरदान के इस धरती पर

रहता सावन भी पतझड़ में 

संत दयाल का किला कला का एक नमूना आला है

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है 


दो पर्वत के बीच नदी को एक शहंशाह ने जो रोकी 

संगमरमर से है सजाया नाम दिया उसका नौचोंकी 

नौ नौ ईन्च की नौ सिड्डी में नौ पाचों को संवारा है

 एक अजन्ता को क्या देखें देखो कैसा तराशा है

 ये गुलमर्ग है अपना हमारा

 कितना प्यारा दरिया किनारा

 रंग बिरंगी चुनरी सूखे 

ऐसा है गउ घाट नज़ारा 

गोपी मां ने गेवर मां को पूजा में रंग डाला है

एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है


कृष्ण कन्हैया कांकरोली में राम बिराजे राजनगर में

 एक अवध के आंगन जैसा दूजा वृंदावन सा घर में 

देव धरा कल्याणी इस पर बसते पावन प्यारे लोग 

बृज भूषण जी से अनुरागी धर्म परायण सारे लोग 

कवि दाम ये गुण गाता है 

कृष्ण सुदामा सा नाता है

 चरण को धोने द्वारकेश के 

झील का पानी खुद आता है

 सुन्दर टाकीज के परदे पर कृष्ण कन्हैया आला रे

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर रंग निराला है


ताल तलईया नदिया नाले पेड़ पहाड है प्यारे प्यारे

 उड़ते है बेखोफ परिन्दे नील गगन में पंख पसारे 

आसोटया सनवाड सॅवाली, मंडा मौरचणा उपकारी 

इनकी चौपालों में गूंजे मीरा सूर कबीर-बिहारी

रामेश्वर महादेव की माया

गोराजी काला जी भाया

दरवेषो की इस नगरी पर

मामू और भाणेज का साया

आचार्य निरंजन नाथ हमारा नेता रूतबे वाला है 

एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर रंग निराला है 


संतो के सरताज हमारे तुलसी कोहेनूर जहां पर

 ज्ञान कला साहित्य का सृजन होता है भरपूर वहाँ पर 

नाते गज़लें कमाल शाह की हमको कामिल बना रही है

 सम्बोधन में कलम कमर की हमको काबिल बना रही है 

गांधी सेवा सदन हमारा 

मानव की सेवा में सारा

 बाल निकेतन बना रहा है 

बच्चे को तालीम का तारा

 काका कर्नावट ने तो इतिहास नया रच डाला है

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है 


इस नगरी का चलन निराला शीतल चंचल जीवन धारा

 एक दूजे के प्यार में पलता उजला मन अपनापन सारा

 सदियों से सर सब्ज रहा है धरम करम का ताना-बाना 

जगन्नाथ के परम पुण्य से चुगते रोज़ कबूतर दाना

 फूलों फलती खेती बाड़ी 

आगे बढ़ती जीवन गाड़ी

 खेल जगत की हस्ती हम में 

श्याम किशन से नाम घनश्याम खिलाड़ी

 जल चक्की की धुन पर अफज़ल ने गीतों को ढाला है

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है 


चित्रकार स्नेही का जलवा द्वारकेश की काव्य साधना

 अरूण अनोखा के गीतों की बहे सदा रसधार कामना 

सत्य, अहिंसा, दया, धर्म के रहे उपासक ये उपकारी 

तुलसी के चरणों में रहते कविवर पुज्य चतुर कोठारी

 जहाँ अंधेरों से खतरा हो, दीपक बनकर ये जलते हैं

 मानवता के हर सुख-दुःख में साथी बनकर ये चलते हैं 

सृजन सुजान तपस्वी त्यागी,

 ये अलमस्त अलख अनुरागी 

ये समाज के सखा सारथी,

 तन कोमल है मन बैरागी

तैराकी तन-मन विनोद का सबका देखा भाला है,

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है 



धोली खान के जलवे जग में ये अनमोल खज़ाना है

 इसके सुन्दर संगमरमर का ये संसार दिवाना है 

मेहनतकश मजबूत सिलावट इसका रूप सवारने वाले 

हर मजदूर के हाथ के छाले इसको खूब निखारने वाले 

ये कुदरत का तौहफा भाई 

चमक चांद की इसने पाई 

माणक मोती इसमें निकले

 करे जो रब के नाम खुदाई 

अकबर ठेकेदार का चुना चमक बढ़ाने वाला है

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है 


ये सरदार अली सैय्यद का शहर है शानो शौकत वाला

 इसकी शामों सहर पाकीज़ा ये ईमान की दौलत वाला 

इस बस्ती में अपनापन है इस बस्ती में भाईचारा

 इस बस्ती में अमन चैन है ये बस्ती तो वतन हमारा 

आलीशान सिलावट सारे

 है खुद्दार पठान हमारे 

यहाँ की सुन्दर बहन बेटियाँ 

फूलों जैसे बच्चे प्यारे

 ये रचना मां मरियम जिसने मुझ "जब्बार" को पाला है

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है

 घी गुड़ चावल मिर्च मसाला रामकरण सब देने वाला

 कबर में बाया प्यार से कहती रोज़ खरीदे सकरी खाला

 काले खां और हसन कुरैशी अली मोहम्मद छोटे बाबू 

चिन्दा बा के चेहरे पर है बक्षुबा के नूर का जादू 

माणक चोक ये नायक वाड़ी 

डेरा और सिलावट वाड़ी

 है पठान वाड़ी का रूतबा 

दिलवाले दिलदार जुगाड़ी 

चाँद सितारों के परचम का पर्वत पीरों वाला है

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है 

 

पन्नालाल भंवरजी लढ्ढा, मिठू गेहरी लाल जी धोका

 इनसे ईद दिवाली अपनी निर्धन से है मेल अनोखा

 धर्मावत कर्नावट महेता कोठारी चपलोत सहारे 

नन्दवाणा बम और बडोला खतरी सब सहलोत हमारे

 पान बना शंकर तम्बोली

 ढोल बजारे अब्बा ढोली

 पेट दुःखे तो सस्ती सुन्दर

 वैद्य सिकन्दर देदे गोली

 ये जब्बार की जनम भूमि है अनुपम है और आला है

 एक शहर की सैर कराऊँ सुन्दर संग निराला है।