पैगाम
मेरे देश के हर जवान को गीत मेरे पैगाम करे
जब तक देश में रहे गरीबी न ही कोई आराम करे
मेहनतकश निर्बल निर्धन सब जागें मन से काम करें
सब खेतों का रंग बसन्ती हो सरसों के दानों से
मेहनत से मोती उपजाये हम खेतों खलिहानों से
देश बने केसर की क्यारी
पूरी हो आशाएँ सारी
खुशहाली उस देश में होगी जो खेती संग्राम करे
जब तक देश में रहे गरीबी नहीं कोई आराम करे
सब को साथ लिए चल प्यारे सबका साथ निभाता चल
मंज़िल खुद चल कर आयेगी सब से हाथ मिलाता चल
पौंछ ले आँसू हर निर्धन के
दीप चले घर-घर निर्धन के
प्रजातंत्र के इस भारत की जग में रोशन शाम रहे
जब तक देश में रहे गरीबी नहीं कोई आराम करे
प्राण जाये पर उजड़ ना पाये कोई कली इस गुलशन की
हर सरहद पर आँख बुरी है इस धरती पर दुश्मन की
कोई छुपा गद्दार नहीं हो
जिसको हम से प्यार नहीं हो
ऐसे दुश्मन की साजिश से खबरदार हर आम रहे
जब तक देश में रहे गरीबी नहीं कोई आराम करे