Sahaara सहारा (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-45)

 सहारा 

मिल जाये तेरी नर्गिसी आँखों का सहारा 

तो जिंदगी की नाव को मिल जाये किनारा

 महबूब मेरे डालो अगर मुझ पे एक नज़र

मेरे नसीब का भी चमक जाए सितारा 


हसरत है तेरे पहलू में ये उम्र गुजारूं

 सावन की घटाओं सी तेरी जुल्फ सवारूं

 कदमों पे तेरे रख दूँ जमाने की मैं दौलत

ये उम्र मेरी सारी तेरे हुस्न पे वारूं


 मेरी वफा से यार रहे तुम जो बेखबर

 ऐसा न हो कि यार भटक जाए तुम्हारा 


लाखों हसीन जिंदगी की राहों में आये 

लेकिन वो तुम थे एक निगाहों में समाये

तेरे शबाब बेमिसाल को मेरे हमदम 

कैसे मैं देख पाता पनाहों में पराये 

दिवानगी में शाम हुई है कहाँ सहर 

हर साँस सिर्फ नाम लिये जाए तुम्हारा 


 सागर के साथ रहती है दिल सी हर लहर

पूजा है तुम्हें प्यार से पलकों ने इस कदर

ऐसी दिवानगी लिए घूमूं मैं दर-बदर

मैं नाम खुदा का लूँ तो आ जाये तुम्हारा


मेरी वफा से यार रहे तुम जो बेखबर

 ऐसा न हो कि यार भटक जाए तुम्हारा