Aachaary shree tulasee आचार्य श्री तुलसी (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-30)

 आचार्य श्री तुलसी

आज अहिंसा आलोकित अणुव्रत के आह्वान से

धन्य हुए आचार्य श्री तुलसी के हम वरदान से

 आदर्शों के दीप जले अमृत महोत्सव की शान से 

 आप के आदर्शों से बदला हमने सोच ख्यालों को

  पाप की आंधी बुझा ना पाई पुण्य से जली मशालों को

  आपने सुलझा दिये देश के कई जटिल सवाल को

 पंजाब को दी दिशा आपने राजीव संत लोंगोवाल को

  ऐसे संतों से जायेगी हिंसा हिन्दुस्तान से 

     धन्य हुए आचार्य श्री तुलसी के हम वरदान से 


पाप के पापीपन की पीड़ा पीर बनी हर द्वारे की

हिंसा थी हर मोड़ पे हरदम कौन सुने दुखियारे की

उठी लाडनू की धरती से एक किरण उजियारे की

पूनम हो गई किरण आज वो रात गई अंधियारे की

रोशन हो गई मानवता तुलसी से संत महान से

धन्य हुए आचार्य श्री तुलसी के हम वरदान से

  जीवन अर्पण सभी हमारे जब भी आप पुकारेंगे 

  सभी अहिंसा के पथ चलकर सारी उम्र गुजारेंगे 

हे युग दृष्टा ! हे युग प्राणी ! हमको और संवारिये

 कठिन तपस्या के पचासवें साल में आप पधारिये 

मानवता को मान मिले हिंसा जाये जहान से

 धन्य हुए आचार्य श्री तुलसी के हम वरदान से