Meera मीरा (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-29)

 मीरा 

    मीरा मन हारी बावरी गिरवर गिरधारी से 

    क्या लेना देना राणा जी अब दुनियादारी से 


 क्या धरा है हाथी घोड़े सुंदर महलों में

  क्या धरा है सोने चांदी सुंदर गहनों में

     सब बौने मेरे मंदिर की इस चार दीवारी से 

    क्या लेना देना राणा जी अब दुनियादारी से 


   फलते खिलते बाग बगीचे ये लहराते खेत

   बैसाखी भण्डार भरे सावन ये बरसे मेघ

    पर फूल चल कर आते हैं बृज की फुलवारी से

       क्या लेना देना राणा जी अब इस दुनियादारी से 


  चंवर ढुलाते नौकर चाकर बैठे सब सरदार

  फौज फांटे तोप तमन्चे हाथों में तलवार 

  पर बंसी भारी तोप तमन्चों की चिंगारी से

   क्या लेना देना राणा जी अब दुनियादारी से 


   चलो चलें बृज करें चाकरी मुरलीधर के द्वार 

छोड़ो राजा राज सिंहासन हैं सारे बेकार

   जनम जनम का साथ करो जी कृष्ण मुरारी से 

 क्या लेना देना राणा जी अब दुनियादारी से 


  हरि हरे हर पीर तुम्हारी दुःख देने वाले 

  अमृत बरसे तुम पर मुझको विष देने वाले

   विनती यही है मेरी इस सुदर्शनधारी से

     क्या लेना देना राणा जी अब दुनियादारी से 


सूरज चांद सितारे अपने जलथल अपरंपार

 क्या धरती मेवाड़ मेड़ता अपना घर संसार 

जब्बार अमर होते हैं कुल ऐसी कुलनारी से

 क्या लेना देना राणा जी अब दुनियादारी से