Gulaab kee kalee गुलाब की कली ( गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-18)

 

गुलाब की कली 

माना हाथों वक्त के गई हो तुम छली

होना ना उदास, गुलाब की कली

लाल तेरा खोया सारे को खली

 

हौंसले तुम्हारे तो तराजू से खरे

पर माँ का प्यार तुम भी तो आँचल में हो भरे

हिम्मत की कश्ती तेरी तो तूफानों में चली

होना ना उदास, गुलाब की कली

 

माना नारी भारत की फौलाद होती है

पर माँ की दौलत दुनियां में औलाद होती है

चढ़ जाती है ऐसे कभी अरमानों की बली

होना ना उदास, गुलाब की कली

 

जीना मरना हाथों रब के जग बेगाना है

आगे पीछे दुनियां से हम सबको जाना है

कब जाने किस को ले जाये ये मौत मनचली

होना ना उदास, गुलाब की कली

काबिल था वो थामता इस देश की मशाल

पर टूटा सपना, देश को इस बात का मलाल

कुदरत के आगे आदमी की जाने कब चली

होना ना उदास, गुलाब की कली

 

 

बिछुड़ा बेटा एक तेरे तो करोड़ों लाल

सारे दुःखड़े दे दे तू फिर देश को संभाल

कांटों पे सो के तुम को देंगें सेज मखमली

होना ना उदास, गुलाब की कली


देश में बनाए रखना एकता को तुम

सीने से लगाये रखना मेनका को तुम

जब्बार, कलीयां रोज की तो कांटों में पली

होना ना उदास, गुलाब की कली