चित्तौड़ दर्शन
जानी और पहचानी है
हम क्या करें तारीफ यहां की
जग में ऊँची कहानी है
चेतक पर राणा की मूरत
भोली एक बापू की सूरत
मीरा की बलिहारी यहाँ है
नेहरू की फुलवारी है
हम क्या करें तारीफ यहां की
जग में ऊँची कहानी है
चारों तरफ है पानी पानी
पानी है पर दो पुलिया पुरानी
पुलिया नीचे झूमे गोरी
धोये चुंदड़ी धानी है
काशी अजमेर क्यूं जाएं
सर क्यूं ना अपना यही झुकाएं
नीचे दरगाह है मत वाली
ऊपर चण्डी काली है
शीतल जल गौमुख का झरना
इठलाते बल खा कर गिरना
जैसे घाघर को छलकाती
बूंदे भरती पानी है
रेलों कारों ने घेरा है
देश विदेशियों का डेरा है
देख के कीर्ति स्तम्भ को हमारे
करते सब हैरानी है