Bhaarat भारत ( गंगा की लहरें) - Kavi Abdul Jabbar (GL-5)

भारत

आओ सुनायें तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं

सत्य अहिंसा का है पुजारी, भारत जिसको कहते हैं।


गंगा-जमुना आँखें जिसकी, लब हैं जिसके फुल कमल

ताज हिमाला जिसके सर का, मुखड़ा जिसका ताज महल

दिल कश्मीरी प्रेम का पाला

पहने वो हर दम जय माला

जिसका हर बालक मोहन है

राधा है जिसकी हर बाला

जिसके सुन्दर वन-उपवन में दशरथ नन्दन रहते हैं

आओ सुनायें तुम को कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं।


गौतम, गाँधी, वीर जवाहर इस धरती की गोद पले

दुनिया ने जिन को अपनाया बन के प्यार की ज्योत जले

जिनका जीवन देश भलाई

आजादी की शमा जलाई

हर भारत-वासी के दिल में

आजादी की लगन लगाई

देश हुआ आजाद हमारा, आजादी से रहते हैं

आओ सुनाएँ तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं


आजादी के बाद भी भाई, एक शैतान की शामत आई

हिन्द को जब तेजी पर देखा उनकी आँखें हद पर आई

उसने जब हमको ललकारा

ये धरती बन गई अंगारा

भागा चाऊ दुम को दबाये

जब एक वीर ने दस को मारा

ये वो धरती है जिससे दुश्मन सब दम भरते हैं

आओ सुनायें तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं।


अमन का प्यारा देश हमारा, एटम बम का नहीं गुजारा

वीराना मिलता है उसको जो लेता है उसका सहारा

लाज़ीम है खेती को बढ़ाना

आबादी को रोका जाना

वर्ना मुश्किल हो जायेगा

भारत को खुशहाल बनाना

आओ हम सब मिल के बनाएँ जिस पर हम सब रहते हैं

आओ सुनायें तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं।