Vidhaata विधाता ( गंगा की लहरें) -- Kavi Abdul Jabbar (GL-3)

 विधाता

संग गरीबों का गम में निभाता रहे

 साथ उसके हमेशा विधाता रहे।


देता सदियों से सूरज हमें रोशनी

    आई किरणों में उसके क्या कोई कमी

जो अंधेरों में राहें दिखाता रहे

 साथ उसके हमेशा विधाता रहे।


 ये परायाये अपना हैकैसा भरम

साथ जाता है जिसका हो जैसा करम

जिसका नेकी की परियों से नाता रहे

साथ उसके हमेशा विधाता रहे।


दीन पर हो दयाये बहुत लाजमी

  आदमी बन के जग में जीये आदमी

  ये सबक सीखे जग को सिखाता रहे

साथ उसके हमेशा विधाता रहे।


 बेसहारों का कोई सहारा बने

 डूबती कश्तियों का किनारा बने

उसकी कश्ती खुदा खुद चलाता रहे

साथ उसके हमेशा विधाता रहे।


दिन गयारात आईसवेरा हुआ

चल दिया खत्म जिसका बसेरा हुआ

वो अमर जो जहां को लुभाता रहे

साथ उसके हमेशा विधाता रहे।