जवान
एक कहानी कह रहा हूँ हिन्द के जवान की
सरहदों पे जो खड़ा है फौज के जवान की
हौंसले बढ़े-बढ़े सोचते खड़े-खड़े
जान जाये, आन ना जाये वतन महान की
लाल एक मिन्नतों से मां और बाप को मिला
लाड़-प्यार का रहा यूँ बीस साल सिलसिला
देखने को आ गया चित्तौड़ का कहीं किला
सूरमा सूरमा के यश को देख उसको ये सबक मिला
देश-सेवा ऐसा मैं करूं, जगत को दूं हिला
कर इरादा देश-सेवा फौज में दाखिल हुआ
कुछ ही अर्से बाद वो जंग के काबिल हुआ
अमन था चैन था वहाँ
तैनात वो फौजी जहाँ
पर वक्त कह रहा था ये घड़ी है इम्तहान की
जान जाये, आन ना जाये वतन महान की।
अमन की गोद में पड़े ये तोप गोलियाँ सभी
शांत भाव मन रहे थे ईद-होलियाँ सभी
हिन्द का विकास देख चाऊ माऊ जल पड़ा
भाई-भाई कहता वो लद्दाख से आगे बढ़ा
दस को मारा एक ने लाशें थी उनकी बेशुमार
जंग बंद हो गई थी एकता की ये पुकार
हौसला बुलन्द था
थोपा हुआ ये जंग था
ईमान की ये जीत और हार बेईमान की
जान जाये, आन ना जाये वतन महान की
शादी एक सुंदरी से उस जवां की तय हुई
आवाज गन मशीन की शहनाई में विलय हुई
मंडप सजाये धूम से रस्में सभी अदा हुई
दुल्हन खुशी के साथ यूँ मां-बाप से विदा हुई
दुल्हन वो एक रात की ना मेंहदी छूटी हाथ की
जवान को खबर मिली की पाक ने फिर घात की
दुल्हन खड़ी थी सेज पर
पर आ पड़ी थी देश पर
दुल्हन ने कहा देश पहले, मर्जी यही भगवान की
जान जाये, आन ना जाये वतन महान की
दुल्हन खड़ी थी एक ओर दूसरे पे देश था
मां का प्यार एक तरफ तो देश का आदेश था
सबको छोड़-छाड़ वो खिदमत में वतन की चल दिया
जेट को गिराये तोप टैंक को कुचल दिया
पाक की नापाक एक गोली उसको आ लगी
आखिरी भी साँस उस जवान की कहने लगी
अमर जवान हो गया अदना महान हो
गया धरती का सीना फट गया नम आँखें आसमान की
जान जाये, आन ना जाये वतन महान की
दुल्हन को जब खबर लगी अमर सुहाग हो गया
देश पर निसार वो चिराग एक खो गया
छलकते नैन कह पड़े रहूँ तेरी जनम-जनम
देश की है आबरू वो, मेरे आबरू सनम
मां ने यूँ कहा जनम-जनम मैं तेरी मां रहूँ
जो भी जाये सरहदों पर हर जवां से ये कहूँ
तुम वतन की शान हो
सरहद के निगहबान हो
तुझ पर निसार बेशुमार हर खुशी जहान की
जान जाये, आन ना जाये वतन महान की