Rajat jayantee रजत जयंती ( गंगा की लहरें )-Kavi Abdul Jabbar (GL-12)

रजत जयंती

 

एक अहिंसा की लाठी ने तोपों का मुख मोड़ दिया

आजादी के दीप जले अंधियारों ने पथ छोड़ दिया


नाचो, गावो, जश्न मनाओ

घर आँगन तुम सजो-सजाओ

आजादी की रजत जयंती

में नव युग का दीप जलाओ


मिला है जीवन से जीवन तो क्लेश मात्र सब छोड़ दिया

आजादी के दीप जले अंधियारों ने पथ छोड़ दिया


बांध ये तीरथ धाम नये

लहराये खेती काम नये

नया दौर सब नई उमंगे

अमन के ये पैगाम नये


बरसों की काली रातों में किसने ये नव भोर दिया

आजादी के दीप जले अंधियारों ने पथ छोड़ दिया

 

अमन में है हम फूल कमल के

जंग में हैं हम शूल चुभन के

तलवार से पहले हाथ बढ़े

हम मीत जगत के नूर जगत के


रहेगी कायम ये आजादी कफन जो सर से ओड़ लिया

आजादी के दीप जले अंधियारों ने पथ छोड़ दिया