Deshagaan देशगान ( गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-20)

                                                                             देशगान

दिल दिल्ली जिस देश का भाई जनता जिस्मोजान

सारा जमाना इस जन्नत को कहता हिन्दुस्तान

 

सात सुरों की सरगम साधे गाये पवन अकेला

इन्द्रधनुष  के रंग बिखेरे ये  मौसम अलबेला

उड़ते   पंछी   शाम   सवेरे   गायें    मंगल-गान

सारा जमाना इस जन्नत को कहता हिन्दुस्तान

 

जहां  चरागे  प्यार मोहब्बत हर दिल में जलता है

जहां  का  बच्चा  आदर्शों  के  पलने  में पलता है

जहां सभी के दिल में  रहता गीता  और  कुरआन

सारा  जमाना  इस जन्नत  को कहता हिन्दुस्तान

 

जहां शिवाजी और प्रताप नेता सुभाष मतवाले

आजाद, भगत, अश्फाक जहां पर देश पे मिटने वाले

लाल बहादुर, गांधी, नेहरू, इन्दिरा जहां महान

सारा जमाना इस जन्नत को कहता हिन्दुस्तान

 

रहमत रब की, मेहनत सबकी लाती है खुशहाली

सदा हिमाला करता आया इन सबकी रखवाली

जिन्दादिल हैं हर सरहद पर इसके वीर जवान

सारा जमाना इस जन्नत को कहता हिन्दुस्तान

 

मीरां, तुलसी, सूर, कवि, टेगौर वो पंत निराला

गालिब, खुसरो, जफर, जोश वो मीर से शायर आला

जहां कबीरा रस बरसाये कृष्ण भजे रसखान

सारा जमाना इस जन्नत को कहता हिन्दुस्तान |

 

आजादी का जश्न यहाँ पर एक तीरथ होता है

उजियारा हँसता है पग-पग अंधियारा रोता है

जब्बार, तिरंगा नील गगन में उड़ता आलीशान

 सारा जमाना इस जन्नत को कहता हिन्दुस्तान।