Ganatantr गणतंत्र (गंगा की लहरें) - Kavi Abdul Jabbar (GL-14)

 

गणतंत्र

धन्य हुआ वो देश जिसे ऐसा गणतंत्र मिले

जिसके स्वागत की खातिर सरसों के फूल खिले

 

दुनिया के गुलजार से हमने चुने फूल अनमोल

पात-पात, डाली-डाली का किया देश-हित मोल

 

तोल-मोल के इस नियमन में लाभ से मूल मिले

जिसके स्वागत की खातिर सरसों के फूल खिले

 

होती हक की खूब हिफाजत फर्ज की साख फले

जन-जन के जीवन-यापन की फलती शाख फले

 

धर्म सलामत सबका जिसमें नेक उसूल मिले

जिसके स्वागत की खातिर सरसों के फूल खिले

 

ठोस इरादे, दूर की दृष्टि, अनुशासन की राहें

आशाओं का नव प्रभात लाया है नई राहें

 

मेहनत तंत्र बना जीवन का समय अनुकूल मिले

जिसके स्वागत की खातिर सरसों के फूल खिले