Vandana वन्दना (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-58)

 वन्दना

ऐ माँ सरस्वती तुम्हारी वन्दना करें

 हाथ जोड़ हम तुम्हारी अर्चना करें 

शुद्ध कर हमारे मन के दोष छांट दे

 विद्या दया का दान हम सभी में बाँट दे 

दे वो शक्ति जन की सेवा वंदना करें 


  एकता के सूत्र में बंधे रहें सभी

 मन मुटाव से सदा बचे रहें सभी 

दर्द बांट लें किसी को दर्द ना करें


हम जीएं मरें हमारे देश के लिए

 "सत्यमेव जयते" संदेश के लिए

 बुरी नज़र तिरंगे पर पसंद ना करें


 देना मेरे देश को वो नेता भारती 

  कुर्सी से पहले देश की उतारें आरती

 जनता को मेरे देश की जो तंग ना करे 


अनंत में झुका के सर बिछाके दो नयन

 स्वीकार लो, स्वीकार लो, विनम्र ये नमन

 तेरे चरण कमल से शीश तर्क ना करें 

Trishala Nandan त्रिशला नन्दन (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-57)

 त्रिशला नन्दन

धरम करम इन्सान की सेवा जिसका घर संसार है

दुनिया के दुःख दर्द में हर दम महावीर तैयार है

त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है


छोड़ सिंहासन राजकुंवर ने जीवन का रूख मोड़ दिया 

 तोड़ के रिश्ते नाते घर से जग से रिश्ता जोड़ लिया 

  कांटों पर चल कर स्वामी ने फूल खिलाये दुनिया में 

 सत्य अहिंसा दया धरम के दीप जलाये दुनिया में 


त्याग तपस्या अमर है उनकी जब तक ये संसार है

 त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है 


आज अहिंसा की लहरों पर दया की नईया सागर में

 पतवारों पर धर्म पताका चला खेवईया सागर में 

  जल थल में जीवन जीने की भोली सही अहिंसा से 

  अमन चैन की खुशबू सुन लो फैली रही अहिंसा से 


तूफानों से लड़ के निकली नेकी की पतवार है

 त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है 


हो कल्याण करोड़ों का और ये सुन्दर संसार रहे

 भाई चारा फैले ज़्यादा एक दूजे में प्यार रहे 

 

छल मारे और लालच दुःख दे कपट सदा अपमान करे

 ये सब छोड़ो वो सब धारे जिससे जग सम्मान करे


दीन दुःखी का भाग निकालो अपने करोबार से

त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है


  बारूद पे बैठी दुनिया का बस एक धर्म 

तोपों के रूख मोड़ के रखना ये बस कर्म हमारा है

 संतों के आदर्श रहेंगे साथ हमारे संकट में

  भक्तों के सामर्थ रहेंगे हाथ सहारे संकट में 


जब्बार ये स्वामी महावीर की लीला अपरंपार है

 त्रिशला नन्दन का अभिनन्दन कर लो बेड़ा पार है 


Putholi पुठोली (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-56)

 पुठोली

सुन्दर एक पुठोली ग्राम

जहां है लाल फूल बाई धाम

किरणें मंगल गाएं सवेरे संध्या फूले शाम


अरावली की एक श्रृंखला पश्चिम में रखवाली है

 उत्तर-दक्षिण-पूरब देखो तीनों ओर हरियाली है

    छवि निराली मंदिर की टोकर बोले मीठे बोल 

  बूंघटवाली घूमर लेवे भवानीशंकर बजाये ढोल 

  दर्शक आते जाते सारे करते जाते हैं प्रणाम 

 किरणें मंगल गायें सवेरे संध्या फूले शाम 


दूर से मोटर गाती आती इठलाती रेलों की चाल

 खेमकुण्ड की छटा निराली रहता सावन पूरे साल 

चमक रहा पंचायतघर शाला भवन खड़ा विशाल 

राम प्रताप की हिम्मत से यहां के बच्चे हुए निहाल 


देखो सफल हआ है होगा बापजी का आयाम 

किरणें मंगल गाएं सवेरे संध्या फूले शाम 


चमक रही बिजली घर गलियों से अंधियारा भागा है 

नव विकास का दीप जला घर घर उजियारा आया है 

खेत बढ़े खलिहान बढ़े खेत के खेतीदार बढ़े

 दूनी हो गई उपज यहां कि बस दो बच्चे सच्चे बढ़े 


जब्बार सेवा करता जिनकी हर सुबह शाम 

    किरणें मंगल गायें सवेरे संध्या फूले शाम