Chaand kee sair चाँद की सैर (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-33)

 चाँद की सैर 

ऐ चिड़िया रानी तू सुन 

लाया मैं मोती, तू चुन

 आज उदूंगा गगन में भी 

देखना मेरी छत से तुम

 दाल के दाने दूँ तुझको दे दो पंख तेरे मुझको

 मंगल को आकाश में जाऊँ लोटूं धरती पे बुध की 

सोने के बनवा कर दूंगा

 पंख तेरे जो कर दूं गुम

 ऐ चिड़िया रानी तू सुन 

लाया मैं मोती, तू चुन 

रात को रोज़ कहे नानी चाँद पे परियों की रानी

 गाड़ तिरंगा चाँद पे आऊँ मैं बालक हिन्दुस्तानी 

आर्य भट्ट से मिल आऊँगा 

पूछंगा हो कैसे तुम

 ऐ चिड़िया रानी तू सुन 

लाया मैं मोती, तू चुन 

ना मानूं मैं आफत को लगा के सारी ताकत को

 धरती के हर चक्कर पर मैं नयन करूँगा भारत को 

सपने सब साकार करूँगा 

आज लगी है ऐसी धुन 

ऐ चिड़िया रानी तू सुन 

लाया मैं मोती, तू चुन । 

Karmayogi कर्मयोगी (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-32)

 कर्मयोगी

किस्मत किसने खोलके देखी, किसने देखा भाग्य विधान

कब धनवान बने निर्धन और निर्धन बन जाये धनवान 


कब किसके घर चावल फुली पके किसी के घर पकवान

सोने की थाली तरसे और पातल पे जीमे भगवान


ये जीवन की अनुपम धारा पाप पुण्य फल देय सदा

 करे तपस्या श्रम साधना ये यश पल पल देय सदा 


चित्तौड़ धरा ने हर युग में पुरूष दिये है बलिदानी

 भामाशाह से शूरवीर और महा जगत के दानी


दया दान की परंपरा में नया तपस्वी आया

    वीर भूमि के आंगन जिस ने यश का दीप जलाया 


 सन्तों के सत्कार में आगे रहा उमर भर प्राणी

 जिन्हें पुकारते हम आदर से ख्याली लाल ईनाणी 


सीधा सादा धोती धारी पगड़ी लेहरी भात पहन

 मेवाड़ी जूती में फबता इस सपूत का रहन सहन 


हिम्मत मेहनत लगन लगा जिसने जी जान से काम किया

इसी पुरूष के पुण्य प्रताप से संस्थानों ने नाम किया


आये होंगे संकट भारी इस मंजिल को पाने में

 हैं साधक ये हमें बता क्या जला तू दीप जलाने में 


थोड़ा ज्यादा कष्ट सहा पर अंधियारे को भगा दिया 

लगन शील को मिले सफलता ला उजियारा बता दिया


जतन तुम्हारे कथन तुम्हारे रहे प्रेरणा स्रोत हमारे

पद चिन्हों पर चले तुम्हारे सदा रहे सौभाग्य हमारे


  रहे प्रभु की कृपा आप पर सीया राम वरदान रहे

  यश वैभव के कलश रहो तुम सदा मान सम्मान रहे


संस्कारों में पलती फलती ये सन्तान तुम्हारी 

मर्यादा के बाग में महके ये सुन्दर फुलवारी 


ले कन्चन की थाल कीर्ति तिलक करे श्रीभाल पर 

  चित्तौड़ नगर को नाज रहेगा अपने ख्याली लाल पर


इस गौरवशाली जीवन का ऊँचा मस्तक भाल रहे

लगे उमर भी तुम्हें हमारी जीवन सदियों साल रहे


Karmayogi Kulishji कर्मयोगी कुलिशजी (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-31)

  कर्मयोगी कुलिशजी

कुलिश के बिन कलम का कारवां इस हाल में 

दीपक नहीं हो जैसे कि पूजा के थाल में 


 धरती का लाल आज सितारों में जा बसा 

 फलक के फरिश्तों की कतारों में जा बसा 

दीपक गया वो देवता की देख भाल में 


साथी सखा समाज का वो सारथी रहा

 शब्दों के मोतियों का सदा पारखी रहा 

 अहिंसा का दूत था मेरे भारत विशाल में 


साधक वो साधना का सरोवर थमा गया

 सदियों का प्यार एक जनम में ही पा गया 

लिपटा है लाडला वो तिरंग की शाल में 


ऊँचे खरे ख्याल का खुद्दार आदमी

   वो गुल गुलिस्तां हो गया गुलजार आदमी

लाऊँ कहाँ से ढूंढ के ऐसी मिसाल मैं 


 होना फरेब फर्ज का आला मकाम हो 

जालिम हो बेनकाब खुला इन्तकाम हो

 इन्साफ का हामी वो सियासत की चाल में 


रोशन रहेंगी राहें तुम्हारे असुल में

माहौल महका-महका अकीदत के फूल से

मर्यादा मौन मिल गई चन्दन गुलाल में


 सोडा के पूत पर हमेशा नाज रहेगा

 दुनिया में वो इन्साफ की आवाज रहेगा

   तस्वीर देखते हैं हम उनकी गुलाब में 


ऐ बागबान बहार पे तेरी नजर रहे

 दुःख सुख में वक्त-वक्त पे सबकी खबर रहे 

साया रहे तेरा सदा समय की चाल में 


याद-ए-चराग को कभी बुझने ना देगें हम 

परचम कुलिश के मान का झुकने न देगें हम

  जब्बार, जन सैलाब था जिसके विसाल में ।