Javaan जवान (गंगा की लहरें) - Kavi Abdul Jabbar (GL-7)

 

जवान 

एक कहानी कह रहा हूँ हिन्द के जवान की

सरहदों पे जो खड़ा है फौज के जवान की

हौंसले बढ़े-बढ़े सोचते खड़े-खड़े

जान जायेआन ना जाये वतन महान की


लाल एक मिन्नतों से मां और बाप को मिला

लाड़-प्यार का रहा यूँ बीस साल सिलसिला

देखने को  गया चित्तौड़ का कहीं किला

सूरमा सूरमा के यश को देख उसको ये सबक मिला

देश-सेवा ऐसा मैं करूंजगत को दूं हिला


कर इरादा देश-सेवा फौज में दाखिल हुआ

कुछ ही अर्से बाद वो जंग के काबिल हुआ


अमन था चैन था वहाँ

तैनात वो फौजी जहाँ

पर वक्त कह रहा था ये घड़ी है इम्तहान की

जान जायेआन ना जाये वतन महान की।

अमन की गोद में पड़े ये तोप गोलियाँ सभी

शांत भाव मन रहे थे ईद-होलियाँ सभी

हिन्द का विकास देख चाऊ माऊ जल पड़ा

भाई-भाई कहता वो लद्दाख से आगे बढ़ा 


दस को मारा एक ने लाशें थी उनकी बेशुमार

जंग बंद हो गई थी एकता की ये पुकार


हौसला बुलन्द था

थोपा हुआ ये जंग था

ईमान की ये जीत और हार बेईमान की

जान जायेआन ना जाये वतन महान की

शादी एक सुंदरी से उस जवां की तय हुई

आवाज गन मशीन की शहनाई में विलय हुई

मंडप सजाये धूम से रस्में सभी अदा हुई

दुल्हन खुशी के साथ यूँ मां-बाप से विदा हुई

दुल्हन वो एक रात की ना मेंहदी छूटी हाथ की

जवान को खबर मिली की पाक ने फिर घात की


दुल्हन खड़ी थी सेज पर

पर  पड़ी थी देश पर

दुल्हन ने कहा देश पहलेमर्जी यही भगवान की

जान जायेआन ना जाये वतन महान की

दुल्हन खड़ी थी एक ओर दूसरे पे देश था

मां का प्यार एक तरफ तो देश का आदेश था

सबको छोड़-छाड़ वो खिदमत में वतन की चल दिया


जेट को गिराये तोप टैंक को कुचल दिया

पाक की नापाक एक गोली उसको  लगी

आखिरी भी साँस उस जवान की कहने लगी


अमर जवान हो गया अदना महान हो

गया धरती का सीना फट गया नम आँखें आसमान की

जान जायेआन ना जाये वतन महान की

दुल्हन को जब खबर लगी अमर सुहाग हो गया

देश पर निसार वो चिराग एक खो गया

छलकते नैन कह पड़े रहूँ तेरी जनम-जनम

देश की है आबरू वोमेरे आबरू सनम


मां ने यूँ कहा जनम-जनम मैं तेरी मां रहूँ

जो भी जाये सरहदों पर हर जवां से ये कहूँ


तुम वतन की शान हो

सरहद के निगहबान हो

तुझ पर निसार बेशुमार हर खुशी जहान की

जान जायेआन ना जाये वतन महान की


Vande maataram वन्दे मातरम् (गंगा की लहरें ) - Kavi Abdul Jabbar (GL-6)

 

वन्दे मातरम् 

नई चेतना, नई मशालें, नई रोशनी जिन्दाबाद

मेरे वतन के जिन्दा लोगों, नई जिन्दगी जिन्दाबाद

जुल्म के निकले यूँ ही जनाजे, नई बन्दगी जिन्दाबाद

बोलो वन्दे मातरम्।


जिन्हें अंधेरे छेड़ ना पाये, उजियारों ने लूट लिया

अमर बेल बन गये थे रक्षक, निर्दोषी का खून पिया

घरवालों ने घरवालों से गैरों सा व्यवहार किया

आजादी में भारतवासी, कैदी और लाचार जिया

फिर भी रहे हौंसले कायम, रही बुलन्दी जिन्दाबाद

बोलो वन्दे मातरम्


जगत जानता है भारत में, प्रजातन्त्र है, खेल नहीं

गौतम, गाँधी की धरती का, जुल्मों-सितम से मेल नहीं

हम गरीब अनपढ़ हैं लेकिन, बुरेभले का भान हमें लोग हमें

पहचान ना पाये पर उनकी पहचान हमें

दुःख-दर्दो के बीच से निकली हुई हर खुशी जिन्दाबाद

बोलो वन्दे मातरम्।


भरम-भुलावा छीन ले गया कोमल कलियों की काया

लुक-छिपकर जो फूल बन गई उस पर पतझड़ का साया

पतझड़, सुन लो, अब ना सहेगा, और ये सावन बदनामी

अब ना चलेगी इस गुलशन में और खिंजा की मनमानी

बदल गया है माली अब तो रहो हर कली जिन्दाबाद

बोलो वन्दे मातरम्।


ऐसी एकता देश में पहले देखी नहीं कभी जानी

मजहब की दीवारें बोली पहले सब हिन्दुस्तानी

सोने वालों जागते रहना गैरों की रखवाली है

क्या बदलेंगे लोग वो जिनकी जनम से नीयत काली है

गाँधीवादी लोगों जग में रहो हर घड़ी जिन्दाबाद

बोलो वन्दे मातरम्


Bhaarat भारत ( गंगा की लहरें) - Kavi Abdul Jabbar (GL-5)

भारत

आओ सुनायें तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं

सत्य अहिंसा का है पुजारी, भारत जिसको कहते हैं।


गंगा-जमुना आँखें जिसकी, लब हैं जिसके फुल कमल

ताज हिमाला जिसके सर का, मुखड़ा जिसका ताज महल

दिल कश्मीरी प्रेम का पाला

पहने वो हर दम जय माला

जिसका हर बालक मोहन है

राधा है जिसकी हर बाला

जिसके सुन्दर वन-उपवन में दशरथ नन्दन रहते हैं

आओ सुनायें तुम को कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं।


गौतम, गाँधी, वीर जवाहर इस धरती की गोद पले

दुनिया ने जिन को अपनाया बन के प्यार की ज्योत जले

जिनका जीवन देश भलाई

आजादी की शमा जलाई

हर भारत-वासी के दिल में

आजादी की लगन लगाई

देश हुआ आजाद हमारा, आजादी से रहते हैं

आओ सुनाएँ तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं


आजादी के बाद भी भाई, एक शैतान की शामत आई

हिन्द को जब तेजी पर देखा उनकी आँखें हद पर आई

उसने जब हमको ललकारा

ये धरती बन गई अंगारा

भागा चाऊ दुम को दबाये

जब एक वीर ने दस को मारा

ये वो धरती है जिससे दुश्मन सब दम भरते हैं

आओ सुनायें तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं।


अमन का प्यारा देश हमारा, एटम बम का नहीं गुजारा

वीराना मिलता है उसको जो लेता है उसका सहारा

लाज़ीम है खेती को बढ़ाना

आबादी को रोका जाना

वर्ना मुश्किल हो जायेगा

भारत को खुशहाल बनाना

आओ हम सब मिल के बनाएँ जिस पर हम सब रहते हैं

आओ सुनायें तुमको कहानी, जिस पर हम सब रहते हैं।