Sahaara सहारा (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-45)

 सहारा 

मिल जाये तेरी नर्गिसी आँखों का सहारा 

तो जिंदगी की नाव को मिल जाये किनारा

 महबूब मेरे डालो अगर मुझ पे एक नज़र

मेरे नसीब का भी चमक जाए सितारा 


हसरत है तेरे पहलू में ये उम्र गुजारूं

 सावन की घटाओं सी तेरी जुल्फ सवारूं

 कदमों पे तेरे रख दूँ जमाने की मैं दौलत

ये उम्र मेरी सारी तेरे हुस्न पे वारूं


 मेरी वफा से यार रहे तुम जो बेखबर

 ऐसा न हो कि यार भटक जाए तुम्हारा 


लाखों हसीन जिंदगी की राहों में आये 

लेकिन वो तुम थे एक निगाहों में समाये

तेरे शबाब बेमिसाल को मेरे हमदम 

कैसे मैं देख पाता पनाहों में पराये 

दिवानगी में शाम हुई है कहाँ सहर 

हर साँस सिर्फ नाम लिये जाए तुम्हारा 


 सागर के साथ रहती है दिल सी हर लहर

पूजा है तुम्हें प्यार से पलकों ने इस कदर

ऐसी दिवानगी लिए घूमूं मैं दर-बदर

मैं नाम खुदा का लूँ तो आ जाये तुम्हारा


मेरी वफा से यार रहे तुम जो बेखबर

 ऐसा न हो कि यार भटक जाए तुम्हारा

Saaksharata geet साक्षरता गीत (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-44)

 साक्षरता गीत 

साक्षर हो सारा देश हमारा यही प्रयास 

आये हमारी ज़िन्दगी में ज्ञान का प्रकाश


  अनपढ़ की ज़िन्दगी में बहारें नहीं आती 

पढ़ लो तो ज़िन्दगी से बहारें नहीं जाती

  सूरज ने अंधेरे को किया है सदा निराश 

  आये हमारी ज़िन्दगी में ज्ञान का प्रकाश


 मेहनत लगन से खूब पढ़े और पढ़ाएं 

दुनिया में अपने देश का सम्मान बढ़ाएं

 मंदिर की मूर्ति की तरह ज्ञान को तराश 

आये हमारी ज़िन्दगी में ज्ञान का प्रकाश 


पोथी कलम ले हाथ में आखर की ले मशाल 

विद्या के धन से आदमी ने कर दिया कमाल

   मन के वीरान खेत में फूले फले पलाश 

 आये हमारी ज़िन्दगी में ज्ञान का प्रकाश


मेहनतकशों की टोलियां पढ़ने को चल पड़े

 बच्चों के साथ नारियाँ पढ़ने को चल पड़े 

करते रहो जतन मनन ना हो कोई निराश 

आये हमारी जिन्दगी में ज्ञान का प्रकाश 


तम के तमाम वार यहां होंगे बेअसर 

सूरज ने बिखेरी है किरण गाँव घर डगर

 सबने कमर कसी करें अज्ञान का विनाश 

आये हमारी ज़िन्दगी में ज्ञान का प्रकाश 

Pahachaan पहचान (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-43)

    पहचान 

           ये गाना गाऐ हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 

        दूर करेगा दुनिया भर से अंधियारा अज्ञान 


    गाँव गली घर आंगन इसने ये आवाज़ लगाई

      सदा आदमी रहा अधूरा बिना शिक्षा के भाई 

     जागो रे मज़दूर किसानों लो फिर से अंगड़ाई 

    जीवन का आनन्द उठाने करलो खूब पढ़ाई


              जरा सा इस पर धर लो ध्यान

             तो गुज़रे उमर बड़ी आसान 

    मुरझाए चेहरों पर फिर से आ जाए मुस्कान

     ये गाना गाऐ हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 


      शहर सबा फिर देश संवारो और संवारो दुनिया

          भाईचारा उमड़ पड़े हर झोली में हो खुशियाँ

       हरे भरे हों खेत हमारे आ जाए खुशहाली 

     मनवा गाये गीत खुशी के बोले कोयल काली

    सूरज आशाओं का निकले

      भूले मानवता ग़म पिछले 

भागे भूख गरीबी सब के पूरे हों अरमान 

   ये गाना गाऐ हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 


  आजादी के बाद भी घायल है भारत की नारी

               दहेज का लालच दिखा रहा है अपनी कारगुजारी

              पढ़ जाये परिवार जो घर में पढ़ी लिखी हो नारी 

  ताकत बन जाये नारी ना रहे कोई लाचारी


 जागे शक्ति बन कर नारी

 वरना दुनिया है दो धारी 

  पढ़-लिख जाए तो हो जाए नारी का उत्थान

        ये गाना गाए हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान 


  जात पात और धरम करम से देश बड़ा है भाई 

सत्य अहिंसा दयादान संदेश बड़ा है भाई

  अपने हाथों मानव का सुन्दर संसार बनाना 

 हिंसा के हाथों से ये सुन्दर संसार बचाना


 देखो चमन जले ना अपना

 देखो वतन लुटे ना अपना 

दुनिया को सुन्दर लगता है अपना हिन्दुस्तान 

ये गाना गाए हर इन्सान कराए पढ़ने की पहचान