Rahanuma रहनुमा ( गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-19)

 

रहनुमा

रहनुमा आप सा सदियों में हुआ करता है

आप सलामत रहें हर दिलं ये दुआ करता है


देश के आन-बान-शान की परवाज़ हैं आप

जुल्मों के खिलाफ कौम की आवाज हैं आप

कौन अपने को आवाम से जुदा करता है

आप सलामत रहें हर दिल ये दुआ करता है

 

मर्तबा आपका बुलन्द--बाला है

हर दिल अजीज है और सभी में आला है

करम फरमाँ कहाँ आप सा हुआ करता है

आप सलामत रहें हर दिल ये दुआ करता है

 

जिन्दगी आप की इस मुल्क का सरमाया है

बाद बरसों की इबादत के तुम्हें पाया है

आप जैसों की हिफाजत तो खुदा करता है

आप सलामत रहें हर दिल ये दुआ करता है

 

हो अमन चैन के हालात खुशगवार रहें

जाएँ जहां से खिंजा हर तरफ बहार रहे

नेक बन्दों की बदौलत ये हुआ करता है

आप सलामत रहें हर दिल ये दुआ करता है

 

कोई मुफलिस ना रहे, बेबस, बेसहारा ना रहे

रोजी-रोटी से कोई महरूम गम का मारा ना रहे

इशारा आप का मंजिल को छुआ करता है

आप सलामत रहें हर दिल ये दुआ करता है

 

चाहे मुश्किलें हजारों-हजार रहें साहेब

हिम्मत--हौंसला यूँही बरकरार रहें साहेब

जो करे खुद की मदद उसकी खुदा करता है

आप सलामत रहें हर दिल ये दुआ करता है

 

चमन के फूल भी बोले, अमन परस्त हैं आप

सदा उसूल के हामी, वतन परस्त हैं आप

आप की दीद हो जब्बार दुआ करता है

आप सलामत रहें हर दिल ये दुआ करता है।  

Gulaab kee kalee गुलाब की कली ( गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-18)

 

गुलाब की कली 

माना हाथों वक्त के गई हो तुम छली

होना ना उदास, गुलाब की कली

लाल तेरा खोया सारे को खली

 

हौंसले तुम्हारे तो तराजू से खरे

पर माँ का प्यार तुम भी तो आँचल में हो भरे

हिम्मत की कश्ती तेरी तो तूफानों में चली

होना ना उदास, गुलाब की कली

 

माना नारी भारत की फौलाद होती है

पर माँ की दौलत दुनियां में औलाद होती है

चढ़ जाती है ऐसे कभी अरमानों की बली

होना ना उदास, गुलाब की कली

 

जीना मरना हाथों रब के जग बेगाना है

आगे पीछे दुनियां से हम सबको जाना है

कब जाने किस को ले जाये ये मौत मनचली

होना ना उदास, गुलाब की कली

काबिल था वो थामता इस देश की मशाल

पर टूटा सपना, देश को इस बात का मलाल

कुदरत के आगे आदमी की जाने कब चली

होना ना उदास, गुलाब की कली

 

 

बिछुड़ा बेटा एक तेरे तो करोड़ों लाल

सारे दुःखड़े दे दे तू फिर देश को संभाल

कांटों पे सो के तुम को देंगें सेज मखमली

होना ना उदास, गुलाब की कली


देश में बनाए रखना एकता को तुम

सीने से लगाये रखना मेनका को तुम

जब्बार, कलीयां रोज की तो कांटों में पली

होना ना उदास, गुलाब की कली

Kashmeer कश्मीर ( गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-17)

                                                                             कश्मीर

बैर हुआ है क्यों हरजाई किस्मत को कश्मीर से

आओ हिलमिल दूर करें हम नफरत को कश्मीर से

प्यार बड़ा है इस गुलशन में कुदरत को कश्मीर से

 

किसकी नजर लगी गुलशन को रौनक गई बहारों से

हंसने लगे अंधेरे या रब, गायब चमक सितारों से

ठहर गया नदिया का पानी, भटकी लहर किनारों से

मंदिर-मस्जिद मौन मसीहा चिंतित है हत्यारों से


कुर्सी के लालच ने जोड़ा मजहब को कश्मीर से

आओ हिलमिल दूर करें हम नफरत को कश्मीर से 


रूठ गये हैं हससे अपने आओ इन्हें मना लें हम

सारे शिकवे गिले भुला कर इनको गले लगा लें हम

इक दूजे के दर्द बांट लें सारे भरम भुला लें हम

देश की कश्ती तूफानों से हिलमिल सभी निकालें हम 


जाने ना दो लड़ते-लड़ाते जन्नत को कश्मीर से

                   आओ हिलमिल दूर करें हम नफरत को कश्मीर से