आरजू
या इलाही कर दे हम सब पर रहम
छाए खुशियाँ हर तरफ कर दे करम
हो सलामत और सब फूले फलें
कामयाबी चूमे सबके हर कदम
तन्दुरूस्ती बख्श दे हर शख्स की
दूर जो जाये बवा रन्जों अलम
हो तिजारत में तरक्की बरकतें
रोजी रोटी कर अता रख ले शरम
खेत उपजे कारखाने दे नफा
काम दे हर हाथ को रख ले भरम
आदमी महफूज हो शैतान से
मज़लूम पर ज़ालिम ना कर पाये सितम
हर धरम का मान हो सम्मान हो
बस वतन के वास्ते निकले ये दम
भाईचारा भर हर इक इन्सान में
हो जहाँ में बस मोहब्बत दम बदम
कर अता औलाद बिन औलाद को
हो ना खाली गोद कोई आँख नम
बेसहारों को सहारे के लिए
चलता रहे जब्बार तू तेरी कलम