Jiya jala hai, mita andhera दिया जला है, मिटा अंधेरा (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-48)

 दिया जला है, मिटा अंधेरा

आज दिवाली पर उजियारा फैला इतने प्यार से

बांध चला गठरी अंधियारा इस सुंदर संसार से

     आंगन-आंगन फैली खुशियाँ

 यौवन पर खुशहाली है

ऋद्धी-सिद्धी ने इसे सजाया

हर काया मतवाली है

आज नयापन रूप का निखरा नारी के श्रृंगार से 

बांध चला गठरी अंधियारा सुंदर संसार से 

रंग बिरंगी आतिशबाजी 

खुशियों का इजहार करें

 रंग बिरंगी पोशाकों से 

बच्चे बेहद प्यार करें 

चहल-पहल है आंगन चंदन महक उठी हर द्वार से

बांध चला गठरी अंधियारा सुंदर संसार से

   किरण-किरण के साथ में फैला

अपनापन भी प्यारा है

चंदन की खुशबू सा फैला

 हम में भाईचारा है

 रोशन हो गई सारी दुनिया दीप तेरे उपकार से 

बांध चला गठरी अंधियारा इस सुंदर संसार से 

Akaal अकाल (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-47)

 अकाल

 घात कर गया फिर से सावन खेतों से खलिहान से 

दूर हो गया पानी प्यासे पशुधन और इन्सान से

 इन्हें बचाओ, पुण्य कमाओ, देकर दान महान से 


 बिन पानी बिन घास के गौधन गया रे मौत की बाहों में 

 जीते जी मर गये मवेशी तड़पे नीर की चाहों में 

 अनबोले प्राणी के पग-पग सूरज पिघले राहों में 

 गोकुल का कान्हा बन कोई ले ले इन्हें पनाहों में

 गोपालक के गाँव गली घर लगते हैं श्मशान से 


टूट गया नाता खेतों से मौसम का हरियाली से 

टूट गया सपना किसान का जीवन की खुशहाली से 

टूट गया नहरों से नाता पानी पाली-पाली से

छूट गया दामन दानों का जीवन की रखवाली से 


फाड दिया धरती का सीना सखा देख दरारों ने 

मुरझाया माली वीराने बसते देख बहारों में 

 नैना बरसे पर ना बरसे बदरा सावन भादों में 

 ऐसा रूठा रब हमसे के असर नहीं फरियादों में 

बूंघट भूखा पनघट सूखा है सारे बैजान से


हमें लड़ाई लड़नी है सूखे से हर हाल में

कोई भूख से मर ना जाये भाई पड़े अकाल में

दान का दीप जलाये रखना आशा के चौपाल में

भामाशाह बन चमकोगे तुम प्रताप की ढ़ाल में

लड़ो लड़ाई इस अकाल से दिल जान से

Aankhon kee roshanee आँखों की रोशनी (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-46)


आँखों की रोशनी 

अनमोल है संसार में, आँखों की रोशनी

 खोना नहीं बेकार में, आँखों की रोशनी 

बिन ज्योत के लाचार, बेबस है आदमी

 मिलती नहीं बाज़ार में, आँखों की रोशनी 

आँखें बदन की शान है चेहरे का नूर हैं 

वो आँख क्या है जो के रोशनी से दूर है 

  उजाले की हिफाजत हो अंधेरे के चलन से 

 रखिये सदा बहार में, आँखों की रोशनी

 वो चांद चांदनी वो सितारों भरा गगन 

सूरज की किरणें छू के हुई ये धरा मगन

 बिन नैन के नज़ारा ये कुदरत का क्या करें

 गुल सी लगे गुलज़ार में आँखों की रोशनी 

हो हौंसला तो कोई भी मोहताज नहीं है

आँखों का मोतिया भी लाइलाज नहीं है 

निकाल देंगे आँख से पलभर में डॉक्टर 

ऑपरेशन के इंतज़ार में आँखों की रोशनी 

आँखों में दर्द हो तो अस्पताल जाइये

 लेकर दवाई राय से चश्मा लगाइये 

नाजुक सा अंग आँख है संभाल कीजिये

 लुट जाए ना घर-बार में आँखों की रोशनी