उजाले कर दे जीवन में,
 उमंगे भर दे हर मन में,
 धो डाले गुनाहों को,
 दिखा दे नेक राहों को,
 मिटा दे मन की आहों को,
 वे चाँद-सी चमकता है हिमाला इसके आँचल में
 ये निर्मल नीर गंगा का।
 ये गुजरें पेड़ की झुरमुट में जैसे नैन काजल में
 ये गुजरे पर्वतों के बीच जैसे बिजली बादल में
 हो संध्या जब किनारों पर,
 बजे कल-कल की यूँ आवाज जैसे घुंघरु पायल में,
बहारें हैं बहारों पर,
 मिले जिस खेत को ये जल वो केसर में ढ़ले सारा
जलें यूँ दीप धारों पर,
 ये निर्मल नीर गंगा का।
 उमड़ जाये हरी खेती वो मोती-सा फले सारा
 भरे हिम्मत किसानो में,
मवेशी मस्त मनचाहा पिलाये दूध की धारा
 जहाँ उड़ता हुआ पंछी भजे हरी ओम का नारा
 चमक चंादी सी दानो में,
 हो पापी, गिर गया हो पाप से जग की निगाहों में,
बढ़ाये स्वाद खानों में,
 ये निर्मल नीर गंगा का।
 भटक जाता है जब कोई कभी जीवन की राहों में,
 करे पतझड़ में भी सावन,
लगाले ये गले उसको, उठाले अपनी बाहों में
 संवारे हर जनम उसको, उठाले अपनी पनाहों मंे
 करे पत्थर को ये पावन,
 थमाये पुण्य का दामन,
 मुसीबत में रखे सबका खरा ईमान गंगाजल
ये निर्मल नीर गंगा का।
 हमारी संस्कृति और देश की पहचान गंगाजल
 रहा सदियों से सन्तों का यही गुणगान गंगाजल
 सबल विश्वास है अपना,
 हकीकत है नही सपना,
 हो खाली गोद पीले ये, तो गोदी उसकी भर जायें
ये जल क्या मंत्र है अपना,
 ये निर्मल नीर गंगा का।
 लगाले नैन से कोई, तो ज्योति उसकी बढ़ जायें
 लगाले भाल से कोई, मुक्कदर उसके बन जायें
 हैं आशाओं भरा पानी,
 करोड़ो की कमाई छोड़, घर में लाओं गंगाजल
नहीं इसका कोई सानी,
 करें हम पर मेहरबानी,
 ये निर्मल नीर गंगा का।
 हमंे जीना तो बरसो है मगर मरने को है एक पल
 उजाले जिन्दगी के आज बन जायें अंधेरे कल
 ये शक्ति देश का दर्पण,
 ये निर्मल नीर गंगा का।
विदेशी एक आकर्षण,
 ये मेरे गीत का दर्शन,
