चित्तौड़ हमारा
मान का सम्मान का
आन अपनी शान का
ये
हम सब
को प्यारा
चित्तौड़ शहर हमारा
कंकर
पत्थर मोती
इसके अमृत
बहती नदियाँ
इस
मिट्टी से
तिलक लगाते
अपनी बीती
सदियां
हर
पर्वत की
छाँव तले
खेत
हमारे खूब
फले
चन्दन
वन है
सारा
चित्तौड़ शहर हमारा
मीरा
के मीठे
भजनों से
होता यहाँ
सवेरा
जन
जीवन को
धूप छांव
दे सूरज
करता फेरा
जब
सिंदूरी शाम
ढले
जल
मंदिर में
दीप जले
लगता
स्वर्ग ये
सारा
चित्तौड़ शहर प्यारा
पन्ना
का बलिदान निखारे इसकी
गौरव
गाथा
फिर प्रताप के शौर्य
ने इसका
कर दिया
ऊँचा माथा
भक्ति
शक्ति की
ये पहचान
इस
को वीरों
का वरदान
इससे
दुश्मन हारा
चित्तौड़ शहर हमारा
भोले
भाले नर
नारी सब
मीठी बोली
बोले
मेवाड़ी भाषा से
भाई जैसे
मिसरी घोले
प्रीत
से बोले
मीत उसी
के
नाचे
गाये गीत
खुशी के
झूमें
उपवन सारा
चित्तौड़ शहर हमारा
ये
चमकीले काले
पत्थर इसकी
शान संवारे
फौलादी सिमेन्ट सारे
ये उद्योग हमारे
कामगार इसके जागे
नव
निर्माण में
ये आगे
आखिर
बना सहारा
चित्तौड़ शहर हमारा