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Apana raajasthaan अपना राजस्थान (गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-26)

 

          अपना राजस्थान

               माणक मोती कंकर है, धरती सोने की खान

               है, भारत के भाल का टीका अपना राजस्थान

                  चम्बल का चंचल जल देता बिजली का उजियारा

               हाड़ोती के हर आंगन को इसने खूब संवारा

          कोटा ने कलयुग में पाई एक नई पहचान

             बागड़ के पतझड़ में माही ले आई हरियाली

              आदिवासी मेहनत करते लाने को खुशहाली

                इन लोगों के भोलेपन में मिलता है भगवान

                 मारवाड़ का हर सपूत है सफल चतुर व्यापारी

                    दुनिया के हर भाग में इसने देश की साख संवारी 

                 हरा है इन्दिरा नहर से इसका फैला रेगिस्तान

                भक्ति और शक्ति का ये मेवाड़ है गौरव शाली

                    इस मिट्टी के कण-कण की चित्तौड़ ने की रखवाली

         ये प्रताप की पुण्य भूमि है, सारी शक्तिमान

            सगमरमर से ये सजाये दुनिया के घर आंगन

            इसकी मीठी बोली देती दुनिया को अपनापन

             गांव शहर में रहते इसके मेहनतकश इन्सान

              शहर गुलाबी जयपुर जिसकी छबी बड़ी निराली

              कला का सुन्दर नगर नगीना पहले नखरे वाली

               जब्बार, दुआ कर इन लोगों की जाये ना मुस्कान।


Haldeeghaatee हल्दीघाटी ( गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-25)

                                                                        हल्दीघाटी

शोणित धरती गन्ध गुलाबी

ये चन्दन की भांति है

मांग भरो और तिलक लगाओ

ये सिन्दूरी माटी है

शीश कटा पर झुका नहीं

रण क्षेत्र ये हल्दीघाटी है

 

इतिहास में सोने के अक्षर हैं

इसकी हर तारीफ में सुन लो

मातृभूमि की रक्षा कैसे

होती है इस गीत की सुन लो

 

मेवाड़ की मर्यादा मन्दिर की

मूरत से भी प्यारी थी

प्राण जाये पर वचन ना जाये

आन रक्त से प्यारी थी

 

सैन्य शक्ति निर्बल राणा की

मुगल फौज का पार नहीं था

थोड़े थे राजपूत बांकुरे

उनको भी हथियार नहीं था

 

व्याकुल मन मुख मंडल फीका

मातृ भाव अधरों पर थिरके

शक्ति सिंह को गले लगाने

राणा की अंखिया पथ निरखे


वंश लजाया शक्ति तूने

बनकर बैरी का बंजारा

अफसोस मिलेगा रण में तुझको

जायेगा तलवार से मारा


खाली देश खजाने सारे

दाता दीन सी आह भरे

मत निराश हो राणा देखा

पीछे भामाशाह खड़े


मेवाड़ के मालिक आन रहे

करे गर्व इतिहास सदा

करो करोड़ों खर्च खजाने

भामाशाह भरे सादा


पतझड़ में सावन आया हो

तेल दिया बुझती बाती में

स्वागत करने राणा पहुँचे

बैरी का हल्दी घाटी में


दसों दिशाएं हिली देवता

दर्शन के द्वारे आये

धरा धन्य हो गई थी

जिसने पूत जो ऐसे जन्माये


अश्व का राजा धन्य धरा पर

धूम-धाम से धीन धारे

श्वेत वक्ष पर हाथ फिराते

राणा चेतक रूप निहारे


आज परीक्षा तेरी चेतक

चंचल चपला सा तू बन जा

वीर गति पाऊँ गर रण में

दुश्मन मेरी लाश ना ले जा


छोड़ मुझे मत जाना चेतक

चाहे जो भगवान बुलाये

पावन प्रताप के चरण चूमता

चेतक नैनन नीर बहाए


एक लहर सी उठी पवन में

खनन खनन खनकी तलवारें

भाला बरछी तोप कटारी

धनन धनन तोपें ललकारे

 

 

जय एकलिंग से गूंजा अम्बर

रणफेरी ललकार उठी

गिरे गगन से पुष्प करोड़ों

जब राणा की तलवार उठी


थी वसुन्धरा सनी रक्त से

प्रलय दृश्य जो हृदय हिलाये

घोड़ों की टापों से टपके

लहू जंग का जोश दिलाये


करूँ कल्पना कर नहीं पाऊँ

सरिता के दोपाट मिले हैं

बिन बादल बरसात बिजली

धरती और आकाश मिले हैं


एक भील दस माथे काटे

भुजा भील की उड़ती जाये

लाशों के अम्बार हो गये

फिर भी दुश्मन बाज आये


मुगल सिपहसालार जंग में

बना था राणा का जो निशाना

हाथी से ऊपर था चेतक

रहा ना उसका कोई ठिकाना

 


पर नहीं बदलती भाग की रेखा

वक्त का भी साथ नहीं था

चेतक जब हाथी से उतरा

उसका अगला पाँव नहीं था


तीन पाँव पर चला बचाने

अपने मालिक की मर्यादा

वफादार था बड़ा जानवर

आज के इस इन्सान से ज्यादा


पहचानी आवाज के पीछे

जरा ठहरना मेरे दादा

शक्ति सिंह को आते देखा

बोले राणा क्या है इरादा


पाँव पकड़ कर लगा चूमने

शक्ति सिंह को यही शिकन था

उमड़ा पड़ा सावन अंखियों से

भरत राम का यही मिलन था


क्या उपमा दूं कहो जरा तुम

शब्द कहाँ से ढूँढ के लाऊँ

कितने दुर्लभ क्षण सुन्दर थे

काश में ऐसा जीवन पाऊँ


दिशा दिखाने लगी रास्ते

उस सपूत को जिधर गया वे

आन अमर हो गई अरे सुन

मेवाड़ का गौरव निखर गया रे


वचन तोड़ कर बोल ना चेतक

चला अकेला आज किधर को

धैर्य का धर सीने पर पत्थर

चूम लिया चेतक के सर को


शक्ति सिंह ने अपना घोड़ा

राणा के हाथों में थमाया

भाई तो भाई होता है

चाहे लाखों कहे पराया


तारीख बदलती चली जायेगी

जब तक ये संसार रहेगा

हल्दी घाटी तेरी गाथा

जनम-जनम जब्बार कहेगा। 

Gaurav-gaatha गौरव-गाथा ( गंगा की लहरें)-Kavi Abdul Jabbar (GL-24)

                                                                         गौरव-गाथा

चित्तौड़ तेरी गौरव गाथा हर युग में गाई जायेगी

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी

पाषाण पहाड़ों के तेरे पावन गंगा के पानी से

माटी चन्दन है माथे की जो चमक रही कुर्बानी से

सांगा का पौरूष तुझमें है, बादल की बाहों का बल है

गोरा का जोश भरा तुझमें, तलवार की चाहों का फल है

तू शक्ति स्थल रण वीरों का

तू भक्ति-स्थल रण धीरों का

तू पारस है कुन्दन-कुन्दन

तू तीरथ है वन्दन-वन्दन

तू स्वर्ग से सुन्दर, दुनिया को ये बात बताई जायेगी।

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी।

 

भीमकाय नभ को छूते वल्लभ धारे तेरे द्वारे

जीत की क्या कोई करे कामना सदियों से दुश्मन हारे

तुझ पर तोपों की तैनाती हाथी को पसीना लाती थी

तोपों गोलों की गर्जन से दिल्ली तक भी थर्राती थी

रक्षा को तेरे देवदूत

केसर बरसाये मेघदूत

मिटने को तेरे सपूत

पूजा में वीर सपूतों की तलवार पुजाई जायेगी

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी

सौ-सौ पे भारी शूरवीर पातल पीतल गोरा बादल

जीते जी इनके देख ना पाया, खिलजी रानी का आंचल

जौहर कर बैठी क्षत्राणी रखने रजपूती शैरो की

मायूस हुमायूँ की राखी रखवाली राख के ढेरों की

हर सीना यश से जड़ा यहाँ

सरकटा तो धड़ भी लड़ा यहाँ

भीलों का तीर करामाती

दुश्मन के दिल में गढ़ा यहाँ

इस मशाल से बलिदानी हरजोते जलाई जायेगी

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी

गौरवशाली सदियां शामिल तेरा इतिहास बनाने में

तू वतन परस्ती की मिसाल है, तुझसा कहाँ जमाने में

लिए कीर्ति कलश खड़ा इस विजय स्तम्भ का क्या कहना

है देश-प्रेम का ये प्रतीक वीरों का आभूषण गहना

जगदम्बा काली मतवाली

करती है सबकी रखवाली

माणक मोती लिये खड़े

भामाशाह सोने की थाली

उस दानवीर के हर मोती की आब बढ़ाई जायेगी

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी

यहाँ बिराजे कृष्ण बिरज से आकर मीरा मन्दिर में

नाचे रे मीरा मन मोहन को पाकर मीरा मन्दिर में

शोर नहीं करते पंछी सूरजमय गगन नहीं होता

भोर नहीं होती तब तक मीरा का भजन नहीं होता

 

भक्तिमय चारों पहन यहाँ

होती है उजली सहर यहाँ

कृष्ण कृपा से मीरा का

अमृत में बदला जहर यहाँ

राधा के संग सदा जग में मीरा भी गाई जायेगी

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी

दगाबाज बलवीर पे भारी वफादार पन्ना धाई

फना हुआ बलवीर जहाँ से अमर हुई पन्ना माई

मेवाड़ उदय को बचा लिया थी ऐसी पन्ना मर्दानी

प्रताप को लाई दुनिया में पन्ना चन्दन की कुर्बानी

पन्ना का पावन त्याग यहाँ

चन्दन जैसी सौगात यहाँ

नौ गजा पीर की ये मशाल

रखवाली सारी रात यहाँ

 

मेरे गीतों की हर पंक्ति तेरे गुण गाई जायेगी

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी

बाबा चलफिर शाह का परचम तेरा तुझ पर परवाज करे

पाकर मीरा की भक्ति को मन मोहन तुझ पर नाज करे

दुश्मन का सीना छलनी कर भीलों ने भार लिया तेरा

लोहार लाज रखें तेरी ना दीप जलाये ना डाले डेरा

तेरी मिट्टी मखमल मखमल

झरने बहते कल कल कल कल

जब्बार, नगरवासी प्यारे

खाते हैं मीठा सीता फल

मेरे गीतों की हर पंक्ति तेरे गुण गाई जायेगी

वीरों के बलिदानों की हर आवाज उठाई जायेगी।