पानी बचाएँ हम

प्यासे को पानी प्यार की बस्ती बसाएँ हम,

ने आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम।

आवारा बादलों ने सूखा दी वसुन्धरा
मौसम तो बदमिजाज है, सावन भी मसखरा

काली घटा फरार है कैसे बुलाएँ हम
फिर भी भली जीम ने हमें नीर दिया है

लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम।
लालच इस धरा का जिगर चीर दिया है
पर वास्ते सभी, के अभी जल बचाएँगे
इस प्यारी कायनात को क्यों कर सताएँ हम पैसा अभी बचे ना बचे कल बचाएँगे अनमोल जल से जान किसी की बचाएँ हम
वो पुण्य एक प्यास बुझाने में पाओगे
लो अजा कल के वास्ते पानी बचाएँ हम। सौ साल सर झुकाने पे तो पुण्य पाओगे सस्ता है सौदा साथ बराबर निभाएँ हम
रूठी हुई बहार को फिर से मनाएँ हम
लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम। पानी के पायदान पे साँसों का ये सफर बेवक्त रुका ना जाएँ जमाने से हार कर
लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम।
ले आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम। इंसान तो इंसान से रिश्ता निभाएगा बेबस पशु परिन्दा कहाँ पानी पाएगा जिसने पिलाया दूध उसे जल पिलाएँ हम
सहारा हो सब्ज रेत में सूरजमुखी खिले
बेटे के नाम एक, तो बेटी के नाम दो आँगन में अपने पेड़ लगना है आपको अब तो समय की धूप से बच्चे बचाएँ हम लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम।
बेटी ना मारो पेट में संयम से काम लो
प्यासे परिन्दे पाएँ जो पानी खुशी मिले सदियों से तपती रेत में चश्में हम लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम। सुखे से पिटना है तो हिम्मत से काम लो
बिगड़े हुए निजाम को फिरसे बनाएँ हम
बेटी-बहन के प्यार को दिल में बसाएँ हम लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम। नायाब आबे आब चलो पीले बाँट कर थोडे़ को ज्यादा जान चलो जी ले साँस भर लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम।
प्यासों के लिए देश में गंगा भी कम पड़ी
पानी की बूँद बूँद जवां जान जिन्दगी पानी बगैर प्यास के बेजान जिन्दगी जीवन है जल जहान को पल पल बताएँ हम लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम। आजादी सौ करोड़ यहाँ इस कदम बड़ी “जब्बार” अब तो देश में गिनती घटाएँ हम
लो आज कल के वास्ते पानी बचाएँ हम।



कवि अब्दुल जब्बार