Apna Vatan : Kavi Abdul Jabbar

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Aankho Ka Noor : Kavi Abdul Jabbar

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Chittor Darshan : Kavi Abdul Jabbar

Gay Gar Ki Shan (गाय घर की शान है) : Kavi Abdul Jabbar




गाय घर की शान है
गीता का फरमान है, गाय घर की शान है।
माँ जैसा सम्मान है, गाय घर की शान है।

बृज गोकुल वृन्दावन में, बरसानें कृष्णावन में।
गौ दर्शन दिन मान है, गाय घर की शान है।

कृष्ण सुदामा साथ चले, साथ अनाथ के नाथ चले।
गाय के दोनों प्राण है, गाय घर की शान है।

गाय के चारों थान सुनो, पावन चारों धाम सुनो।
बोले यूूँ रसखान है, गाय घर की शान है।

गाय का बछड़ा खास है, शिव शंकर के पास है।
क्या नन्दी का मान है, गाय घर की शान है।

गाय बड़ी मन भावन है, गंगाजल सी पावन है।
शोभा मंगल मान है, गाय घर की शान है।

चलती जीवन गाड़ी में, फलती खेती बाड़ी में।
गाय बड़ा वरदान है, गाय घर की शान है।

नील कमल-सी गाय है, गीर नसल की गाय है।
दूध-दही की खान है, गाय घर की शान है।

गुण-सागर बलवान वनो, गौरस पी विद्वान बनो।
उत्तम है गुणवान है, गाय घर की शान है।


शामल रंग सलोना है, गाय का गोबर सोना है।
मूत्र भी रोग निदान है, गाय घर की शान है।

मिलजुल कम ज्यादा खालो, घर में गाय सदा पालो।
सन्तों का आह्वान है, गाय घर की शान है।

आगे-आगे गाय चले, पिछे गोकुल राय चले।
संग मुरली की तान है, गाय घर की शान है।

गाय गरीबी दूर करे, ये जीवन में नूर भरे।
ये सुख का सामान है, गाय घर की शान है।

जो गायों कटवायेगा, वो पापी दुःख पायेगा।
जीते जी मरण समान है, गाय घर की शान है।

गाय बड़ी भोली-भाली, सुख पाया जिसने पाली।
घर भर की मुस्कान है, गाय घर की शान है।

गाय की नस्ल सुधर करो, दूध के फिर भण्डक्षर भरे।
अृमत जैसा थान है, गाय घर की शान है।

शाम सवेरे नीर पिला, गौ वैला में खीर खिला।
वो निर्धन धनवान है, गाय घर की शान है।

दया धर्म का तोल नहीं “जब्बार” गाय का मोल नहीं।
ये अनमोल विधान है, गाय घर की शान है।

कवि अब्दुल जब्बार

Haldi Gati Ki gatha : Kavi Abdul Jabbar